उत्तराखंड की धरती हमेशा से प्रतिभाओं की जन्मभूमि रही है। चाहे बात सैनिकों की हो, खिलाड़ियों की या फिर शिक्षा और संस्कृति की—यहाँ की मिट्टी ने देश को अनगिनत रत्न दिए हैं। ऐसी ही एक प्रतिभाशाली बेटी हैं सरोजनी कोटेडी, जो चमोली ज़िले के देवाल विकासखंड अंतर्गत ग्राम सभा चौड़ से ताल्लुक रखती हैं।
हाल ही में सरोजनी ने बिहार के बेगूसराय में आयोजित “9th MPFI Laser Run National Championship 2025” में गोल्ड मेडल जीतकर न केवल अपने गाँव, बल्कि पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन किया है।
लेज़र रन क्या है?
खेल की एक अनोखी विधा
लेज़र रन (Laser Run) आधुनिक पेंटाथलॉन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें खिलाड़ियों को दौड़ (Running) और लेज़र पिस्टल से शूटिंग (Shooting) दोनों में अपनी क्षमता साबित करनी होती है।
- खिलाड़ी को निर्धारित दूरी तक दौड़ना पड़ता है।
- बीच-बीच में उसे टारगेट शूटिंग करनी होती है।
- तेज़ी और सटीकता दोनों का बेहतरीन संतुलन इस खेल की खासियत है।
भारत में लेज़र रन का महत्व
भारत में यह खेल अभी नया है, लेकिन धीरे-धीरे युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है। MPFI (Modern Pentathlon Federation of India) इस खेल को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन करती है।
सरोजनी कोटेडी : संघर्ष और सफलता की कहानी
साधारण परिवार से असाधारण उपलब्धि
सरोजनी का सफर आसान नहीं था। पहाड़ के एक छोटे से गाँव चौड़ से निकलकर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।
- गाँव के सीमित संसाधन।
- अभ्यास के लिए सुविधाओं की कमी।
- परिवार की आर्थिक चुनौतियाँ।
इसके बावजूद सरोजनी ने अपने जज़्बे और मेहनत से साबित कर दिया कि अगर हौसला बुलंद हो तो मंज़िल पाना नामुमकिन नहीं।
परिवार और गाँव का सहयोग
सरोजनी की इस सफलता में उनके परिवार और गाँव वालों का भी बड़ा योगदान रहा है। माता-पिता ने बेटियों को आगे बढ़ाने की सोच रखी, और ग्रामीणों ने हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया।
राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक की उपलब्धि
बेगूसराय, बिहार में प्रतियोगिता
“9th MPFI Laser Run National Championship 2025” का आयोजन बिहार के बेगूसराय में हुआ। देशभर से खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आए।
इस कड़ी प्रतिस्पर्धा में सरोजनी ने शानदार प्रदर्शन किया और गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
स्वर्ण पदक का महत्व
स्वर्ण पदक सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि यह एक संदेश है—
- उत्तराखंड की बेटियाँ किसी से कम नहीं।
- पहाड़ की धरा प्रतिभाओं से भरपूर है।
- मेहनत और समर्पण से हर बाधा पार की जा सकती है।
सरोजनी की उपलब्धि का सामाजिक प्रभाव
बेटियों के लिए प्रेरणा
सरोजनी की इस सफलता से क्षेत्र की अन्य बेटियों को भी खेलों में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
- यह सोच बदलेगी कि खेल केवल शौक है।
- बेटियाँ भी खेलों के ज़रिए करियर बना सकती हैं।
- खेलों के माध्यम से गाँव का नाम रोशन हो सकता है।
ग्रामीण क्षेत्र की पहचान
ग्राम सभा चौड़ का नाम आज पूरे देश में लिया जा रहा है। इससे यह साबित होता है कि प्रतिभा को गाँव-शहर का फर्क नहीं रोक सकता।
सरकार और समाज की ज़िम्मेदारी
खिलाड़ियों को सुविधाएँ
सरोजनी जैसी प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी है कि सरकार और खेल विभाग पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध कराएँ—
- प्रशिक्षण केंद्र।
- उचित कोचिंग।
- वित्तीय सहायता।
सामाजिक सहयोग
सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि समाज को भी खिलाड़ियों का सहयोग करना चाहिए।
- गाँव और क्षेत्र के लोग मिलकर खेल संस्कृति को बढ़ावा दें।
- स्थानीय स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन हो।
- प्राइवेट संस्थाएँ भी खिलाड़ियों को स्पॉन्सर करें।
उत्तराखंड की खेल प्रतिभाएँ
उत्तराखंड से पहले भी कई खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा चुके हैं।
- क्रिकेट, एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, शूटिंग जैसे खेलों में यहाँ के युवा आगे बढ़ रहे हैं।
- सेना और पैरामिलिट्री में सेवा करने वाले युवा भी खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं।
सरोजनी की उपलब्धि इस परंपरा को और मज़बूती देती है।
भविष्य की संभावनाएँ
सरोजनी के लिए आगे का रास्ता
गोल्ड मेडल जीतने के बाद सरोजनी के सामने नए अवसर खुलेंगे।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का मौका।
- ओलंपिक जैसी बड़ी प्रतियोगिताओं तक पहुँचने की संभावना।
- खेलों में करियर बनाने का सुनहरा भविष्य।
गाँव और क्षेत्र के लिए अवसर
सरोजनी की सफलता से गाँव और क्षेत्र की पहचान बनेगी।
- यहाँ के बच्चों में खेलों के प्रति रुचि बढ़ेगी।
- सरकार और संगठनों का ध्यान इस क्षेत्र की ओर जाएगा।
निष्कर्ष
सरोजनी कोटेडी की यह उपलब्धि केवल एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए गौरव का क्षण है।
उनकी मेहनत, संघर्ष और लगन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
आज जब उन्होंने “9th MPFI Laser Run National Championship 2025” में स्वर्ण पदक जीतकर देशभर में चमोली का नाम चमकाया है, तो यह कहना गलत नहीं होगा—
👉 “जहाँ चाह, वहाँ राह।”
👉 “बेटियाँ बोझ नहीं, गौरव हैं।”
✍️ लेखक की ओर से :
चमोली के देवाल विकासखंड की बेटी सरोजनी कोटेडी को हार्दिक शुभकामनाएँ और भविष्य के लिए मंगलकामनाएँ। 🌸