Monday, September 29, 2025
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उत्तरकाशी धाराली आपदा 2025: बादल फटने से मची तबाही, गांवों में मातम

उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला, जहां एक ओर आध्यात्मिक शांति और हिमालय की गोद में बसे गांव हैं, वहीं दूसरी ओर बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाएं इस क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। 5 अगस्त 2025 की सुबह उत्तरकाशी के धाराली क्षेत्र में बादल फटने की भयावह घटना घटी, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया।

यह लेख आपको धाराली आपदा की पूरी जानकारी देगा – घटनास्थल, जन-धन की हानि, सरकार की प्रतिक्रिया, और भविष्य के लिए जरूरी उपाय।


🌩️ क्या हुआ धाराली में?

5 अगस्त को सुबह क़रीब 5:30 बजे धाराली गांव के ऊपर पहाड़ियों में बादल फटने (Cloudburst) की घटना हुई। भारी वर्षा के साथ अचानक पानी और मलबा तेज़ी से गांव की ओर बहता चला आया। नदी नालों का बहाव कई गुना बढ़ गया और देखते ही देखते गांवों में पानी, कीचड़ और पत्थरों का सैलाब घुस गया।

बादल फटने की मुख्य चपेट में आए क्षेत्र:

  • धाराली गांव
  • बगोरी और हर्षिल गांव
  • गंगोत्री राजमार्ग के कई हिस्से
  • पास की सेना की पोस्ट और कैंप

📍 कहां-कहां नुकसान हुआ?

  • धाराली गांव में 10 से अधिक घर पूरी तरह बह गए।
  • 2 पुल बह गए, जिससे ग्रामीण संपर्क कट गया।
  • गंगोत्री हाईवे पर कई जगहों पर मलबा और चट्टानें गिर गईं।
  • 5 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हुई, जबकि 12 लोग लापता हैं।
  • कई पशु बह गए, खेतों की फसलें नष्ट हो गईं।

🆘 राहत व बचाव कार्य

बादल फटने के तुरंत बाद ही प्रशासन हरकत में आया। उत्तराखंड पुलिस, SDRF, NDRF, और स्थानीय सेना के जवानों ने राहत व बचाव कार्य शुरू किया।

  • हेलीकॉप्टर के माध्यम से फंसे लोगों को निकाला गया।
  • स्थानीय स्कूलों और पंचायत भवनों को राहत शिविरों में बदला गया।
  • भोजन, पानी और दवाइयों की आपूर्ति जारी है।
  • ITBP और आर्मी की टीम ने भी जवानों को भेजा।

🎥 घटनास्थल से वीडियो और तस्वीरें

घटनास्थल से आए वीडियो ने सोशल मीडिया पर सनसनी फैला दी। बहते हुए घर, चिल्लाते लोग, बर्बाद हुए खेत – ये दृश्य केवल दर्दनाक ही नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की हमारी तैयारियों पर भी सवाल उठाते हैं।


🗣️ चश्मदीदों की ज़ुबानी

राजू राणा, निवासी धाराली:

“सुबह अंधेरा था, अचानक एक तेज़ आवाज़ आई, फिर देखा तो पानी और पत्थर हमारे घर की तरफ आ रहे थे। हमने बच्चों को उठाया और दौड़ पड़े।”

गीता देवी, निवासी बगोरी:

“हमारी पूरी बकरी और दो गाय बह गईं। घर भी टूट गया। अब हमारे पास रहने को कुछ नहीं बचा।”


🏛️ सरकार की ओर से प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना को गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित किया है:

  • प्रत्येक मृतक के परिजन को ₹4 लाख की सहायता राशि।
  • जिनके मकान पूरी तरह टूटे हैं उन्हें ₹1.5 लाख तक की सहायता
  • स्थायी पुनर्वास के लिए विशेष नीति बनाने की बात कही गई है।
  • आपदा के कारणों की जांच के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित।

🔍 विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

  • बादल फटना (Cloudburst) एक सामान्य घटना होती जा रही है, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों में।
  • इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन, अनियोजित निर्माण, और जंगलों की कटाई है।
  • वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर समय रहते पहाड़ों पर सतत विकास नीति नहीं लाई गई, तो आने वाले वर्षों में आपदाएं और विनाशकारी होंगी।

🚧 भविष्य की चुनौती

  1. धाराली जैसे दुर्गम गांवों में समय पर चेतावनी तंत्र लगाना।
  2. स्थायी पुनर्वास ताकि हर साल लोग बर्बाद न हों।
  3. आपदा प्रबंधन फंड को मजबूत करना।
  4. स्थानीय युवाओं को आपदा प्रशिक्षण देना।

🔚 निष्कर्ष

धाराली की यह आपदा हमें एक बार फिर चेतावनी देती है कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ता है। अब समय आ गया है कि हम पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अलग से स्थायी विकास मॉडल, सशक्त आपदा प्रबंधन, और स्थानीय जागरूकता पर ध्यान दें।

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